तेरी छबि
तेरी छबि
तेरी छबि
मंगलवार,२५ मई २०२१
उम्र का तकाजा
मैंने भी रखा मलाजा
दिल ने कहा "अब तो आजा"
दिल की बात कान में समजा जा।
पूरी उम्र बीत गई
रात गई और बात पूरी हुई
तू ने सपने में भी झलक नहीं दिखाई
हो गई पूरी तरह हरजाई।
में बनाता रहा तेरी छबि
माना की तुज में है खूबी
तू ने निभाया अपना रोल बखूबी
हो गई पराई रहकर भी करीबी।
मैंने चाहा अपने तहे दिल से
ना निकाल पाया तुमको अपने मन से
यही मानता रहा एक दिन जरूर आओगे
अपनी असली जगह को फिरसे पाओगे।
दिल की खिड़की खोलकर में देखता रहा
मन को तहे दिल से भरोसा देता रहा
तुम ने आकर मेरे उजड़े बाग़ को सींचा
मेरे को ना मानते हुए भी अपनी और खिंचा।
आप आओगे मेरे पास मेरी याद को लेकर
में होउँगा शुक्र गुजार आभार मानकर
बारबार कहूंगा में यह सुनाकर
आजाओ अपने आप मेरी आरजू समझकर।