प्यार अनमोल
प्यार अनमोल
प्यार अनमोल
बुधवार, १९अगस्त २०२०
तुम्हारी आँखों में बसा प्यार मे पढ़ पाया
जैसे समंदर में एक तूफान सा छा गया
जैसे ही मैंने पढने की कोशिश की!
मुझे लगा ये कोशिश बालिश थी।
उसने कुछ बोलना चाहा
मेरे दिल में भी तूफ़ानु उमड़ पड़ा
मेरे होठ कुछ कहने को फड़फड़ाए
उसने भी मेरी और देखा टकटकी लगाए।
बात तो आगे बढ़ चुकी थी
उसने भी साधी चुपकी थी
उसने भी एड़ी का जोर लगा दिया
मानो मुझे कुछ कहकर गले लगा दिया।
प्यार में जबरदस्त आकर्षण है
उसमे स्नेह है घर्षण नहीं है
समय आनेपर वादे लिए जाते है
मर-मिटने के भरोसे दिए जाते है।
प्यार का उमड़ना स्ववभाविक है
एक दूसरे मे समा जाना समाविष्ट है
नहीं दिखता और कुछ कई मीलों तक
आदमी गुमसुम हो जाता है और बनता है मूक प्रेक्षक।
प्यार है स्वर्ग की पहली सीडी
जिसको नहीं मिला उसकी जिंदगी बिगड़ी
वो वार-वार देखता समय के लिए घडी
सोचता क्यों नहीं आती वो अनमोल घडी ?
प्यार होता ही है अनमोल
कौन कर सकता है उसका मोल ?
जवाब भी देने पड़ते है गोलमोल !
क्योंकि नही हो सकता उसका तोल।