बिटिया कि बिदाई
बिटिया कि बिदाई
छोड़ चली बाबा तेरा ये अंगना
हो कर बिदा चली तेरी ये बिटिया
छोड़ चली बाबा तेरा ये अंगना
हो कर बिदा चली तेरी ये बिटिया
दहलीज आज ये लांग के मैं चली
माँ तेरी लाडली देख छोड़ तुझे चली
कर दिया पराया मुझे ब्याह के माँ
मैं ये आंगन आज छोड़ चली
आँसू ना बहाना ,तू न मुझे याद करना
माँ तेरी लाडली को होगा कष्ट वरना
दिये है संस्कार माँ तूने मुझे जो
उन्हीं पे मैं चलूंगी,
करूंगी नाम रोशन तेरा
ऐसा संसार मैं करूगीं
मैं ससुराल अब चली माँ
हो गई हूँ पराई पर तेरी बिटिया तो रहूँगी
परछाई यहाँ थी वहाँ तेरा दूजा रूप बनूंगी
सम्हालूंगी घर ,पर ये घर ना कभी भूलूंगी
कर दिया मुझे पराया क्यों ? नहीं मैं पूछूंगी !
कहे संसार की ये रित है
बेटी तो पराया धन है
इक दिन जिसे दूसरे घर जाना है
पर क्या माँ ये घर अब मेरा नहीं ?
सिंदूर तो लगाया किसी ने ,
नाम भी अब बदल गया
घर बदला ,रिश्ते नये बने
पर माँ इक पुछूँ सवाल मैं
क्या खून मेरा बदला ,
कोख तेरी ही थी ना माँ
जिसमें मैं पली थी
ये बाबा भी वहीं थे
जिनकी उँगली पकड़ मैं चली थी
बोली सिखी तुझसे
माँ तुझसे सिखा जीना
चाहें लांग ये दहलिए जा रहीं हूँ
कर दिया पराया आपने मुझे हो लेकिन
मैं इन दो घरों को जोड़ने बिदा हो रहीं हूँ ,
माँ -बाबा इतना मैं कहूँगी
ब्याह कर में बिदा तो दूसरे घर जाऊंगी
पर इक कोना यहाँ भी मेरे लिए रखना
होगा ससुराल मेरा कैसा ये जानती नहीं हूँ
कोशिश सब सहने की मैं जरूर करूंगी
पर रास न आया वो तो दरवाजा
इस घर का मेरे लिए खुला रखना
सुन बेटी की ये बात
बाबा ने पकड़ा हाथ
बोले लाडली से ,”तुझे ब्याह के बेटा दुसरा हो घर दिया ,
तेरा इस घर से रिश्ता इस जन्म ना टूटेगा
जब भी हो जरूरत, तू बस इक आवाज देना ,
हो जाऊँगा में हाजिर इतना यकीं रखना
बिदाई घर से की है दिल से नहीं मेरी बिटिया
तू है मेरे कलेजे का टुकड़ा , ये रित न होती तो ,
पास मेरे रख लेता ,मेरी प्यारी गुड़िया को कभी जुदा ना में अपने आपसे करता –