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Vijay Kumar parashar "साखी"

Abstract Drama Tragedy

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Abstract Drama Tragedy

"आतंकवाद पर प्रहार"

"आतंकवाद पर प्रहार"

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फिर से हुआ हम पर आतंकवादियों का वार है।

इसमें शहीद हो गये, हमारे बहादुर सैनिक चार है।।

सामने से लड़ाई करने की इनकी हिम्मत नहीं है।

पीठ के पीछे से ही करते है, ये बुज़दिल प्रहार है।।


जाग भी जाओ रे भारत की बहादुर सरकार है।

चीन-पाक को सबक सिखाओ, तुम मज़ेदार है।।

दोनों चाहते, घाटी में तैनाती हेतु रहे सेना तैयार है।

लद्दाखक्षेत्र में भेज सके, ये तो घुसपैठिए हजार है।।


जड़ से उखाड़ फेंको, यह आतंकवाद बेकार है।

आतंकवादियों को न होता, कोई धर्म स्वीकार है।।

आतंकवाद तो मानवता का शत्रु बड़ा विकराल है।

आतंकियों ने उजाड़े, कई मासूमों के घर हजार है।।


सब भारतवासियों की तो बस, यही एक पुकार है।

आतंवादियों पर चलाओं सरकार, आप तलवार है।।

तभी शहीदों की शहादत का कम होगा, कुछ भार है।

उसका नामों-निशां मिटाओ, जो आतंक से करे प्यार है।।


मानवता को तो करता बस, एक ही शब्द बीमार है।

वह है, आतंकवाद, इसका तुरंत करो आप इलाज है।।

नही तो खत्म हो जाएगा, यह प्यार से भरा संसार है।

आतंकवादियों पर सब देश मिलकर करो, प्रहार है।।


जो देश करता आतंकवाद का समर्थन बारंबार है।

पूरे विश्व को कहता साखी, उसका करो बहिष्कार है।।

एक गंदी मीन, जैसे पूरे तालाब को कर देती, बीमार है।

वैसे एक आतंकी देश, पूरी मानवता पर अत्याचार है।।


आतंक को जो पनाह दे, वे भी बदनामी के हकदार है।

एक दिन यह भस्मासुर तो उनका ही करेगा, संहार है।।

जिसने खोदे दूसरों के लिए, यहां पर गड्ढे हजार है।

यह इतिहास गवाह है, वही गिरा उसमें हर बार है।।


आतंकवाद का जरूर मिटेगा एकदिन, अंधकार है।

भीतर जलाओ तो सही, भीतर का दीप एकबार है।।

सरकार आदेश तो दे, अपने सैनिकों को एकबार है।

पिओके, क्या, पाक भी कर देंगे, हिंद हिस्सा इसबार है।।



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