नजरें भी बोलती हैं
नजरें भी बोलती हैं
हमने देखा है नजरें भी बोलती है l
राज दिल के ये सारे खेलती है l
नैनों से नैना चार मत करना कभी,
वो नजरों से अपनी बाण छोड़ती हैl
जब निगाहों ही निगाहों में बात होती है,
भेज जिया के सब यह नजरें खोलती है l
कौन सच्चा कौन झूठा किसके दिल में है क्या,
चुपचाप यह खामोश नज़रें सब तोलती है ल
कभी जो दर्द से भर जाएं ये दिल,
जुदा हो जाए खामोश पर नजरें बोलती है l
कोई पड़े तो इन्हें चुप कहां रहती है यें,
नजरें वें किताब है जो सब बोलती हैं l
सुख-दुख जो
दिल में छुपे उद्घागारित करती,
अश्रु धार इन आंखों की चुप्पी को तोड़ती है l
शर्मो हया जो नारी का आभूषण कहलाता,
वो इन झुकी आंखों से ही बयां होती है l
होती है जब यह बैरन नजरें चंचल,
मर्यादाओं की सीमा तोड़ इत उत डोलती है l
जाने करती है कितनों को अपनी अदाओं से घायल,
जब हो जाए शोख चंचल तो यह नैना तीर छोड़ती है l
हमने देखा है नजरें भी बोलती है, राज दिल के यह सारे खोलती है l
गलती ना करना समझ इनको भोली भाली,
अपने पर आ जाए तो इतिहास बदल देती हैl