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Lokeshwari Kashyap

Drama Classics

4  

Lokeshwari Kashyap

Drama Classics

नजरें भी बोलती हैं

नजरें भी बोलती हैं

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375


हमने देखा है नजरें भी बोलती है l

राज दिल के ये सारे खेलती है l

नैनों से नैना चार मत करना कभी,

वो नजरों से अपनी बाण छोड़ती हैl


 जब निगाहों ही निगाहों में बात होती है,

 भेज जिया के सब यह नजरें खोलती है l

 कौन सच्चा कौन झूठा किसके दिल में है क्या,

 चुपचाप यह खामोश नज़रें सब तोलती है ल


कभी जो दर्द से भर जाएं ये दिल,

 जुदा हो जाए खामोश पर नजरें बोलती है l

 कोई पड़े तो इन्हें चुप कहां रहती है यें,

 नजरें वें किताब है जो सब बोलती हैं l


 सुख-दुख जो दिल में छुपे उद्घागारित करती,

 अश्रु धार इन आंखों की चुप्पी को तोड़ती है l

 शर्मो हया जो नारी का आभूषण कहलाता,

 वो इन झुकी आंखों से ही बयां होती है l


 होती है जब यह बैरन नजरें चंचल,

 मर्यादाओं की सीमा तोड़ इत उत डोलती है l

 जाने करती है कितनों को अपनी अदाओं से घायल,

 जब हो जाए शोख चंचल तो यह नैना तीर छोड़ती है l


 हमने देखा है नजरें भी बोलती है, राज दिल के यह सारे खोलती है l

 गलती ना करना समझ इनको भोली भाली,

 अपने पर आ जाए तो इतिहास बदल देती हैl


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