महर्षि दयानंद सरस्वती
महर्षि दयानंद सरस्वती
आर्य धर्म की स्थापना और वेदों का जिसे जीवन पर्यंत प्रचार किया।
उन्हीं महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने सिद्धांतों को जीवन में उतार लिया।।
आत्म गौरव, स्वाभिमान और स्वाधीनता का मंत्र सबको दिया।
साहसी बन लगे रहो जीवन में हरदम ऐसा उन्होंने उपदेश दिया।।
विरोध किया मूर्ति पूजा का और अंधविश्वास का प्रखरता से खंडन किया।
दूर रहो आडंबरों से जन-जन तक प्रचार और प्रसार किया।।
सबको बतलाया कर्म करो कर्तव्य को सर्वोपरि स्थान दिया।
च्स्वतंत्रता के प्रथम योद्धा के रूप निर्भीक स्वामी दयानंद ने पदार्पण किया।।
सती प्रथा और बाल विवाह का डटकर उन्होंने विरोध किया।
नारी को आगे बढ़ाओ शिक्षा उनका परम अधिकार कहा।।
राष्ट्रीय एकता के वह प्रेम पुजारी सबको यह संदेश दिया।
अंग्रेजी हुकूमत को भी अपने बल पर भय का संचार किया।।
योग विद्या में पारंगत और जन-जन को योग करने का सुझाव दिया।
अन्याय, अभाव से ग्रस्त लोगों का जीवन पर्यंत उद्धार किया।।
वैदिक ज्ञानी आलोकित सनातन पुरुष वो महान हुए।
जागो सभी कर्म करो उन्होंने सबको सजक मंत्र दिया।।