मां शारदे
मां शारदे
नाम जिनका विद्या की देवी वीणापाणी
ज्ञान,विद्या और सदबुद्धि की वो है,दानी
जब ब्रह्माजी ने कमंडल से छिड़का पानी
तब प्रकट हुई,माता सरस्वती हंसवाहिनी
वो थी,माघ शुक्ल बसंत पंचमी सुहानी
आज सुनाता हूँ,माता शारदे की कहानी
जब थी पूरी धरा बिना आवाज के वीरानी
तब मां शारदे ने प्रकट की आवाज,रूहानी
छेड़े वीणा तार,प्रकट की मन प्रिय वाणी
आपको वंदन माँ,आप हो स्वरों की दानी
मां,जन्मदिन,धूमधाम से मनाते,हिंदुस्तानी
हर विद्यालय में मनाते,बसंत पंचमी सुहानी
पीले फूलों से सजाते,मां का चित्र वरदानी
ओर खुद भी पहनते,वस्त्र हम पीले रँगानी
हमारे रीतिरिवाज कहानी,वैज्ञानिकों ने मानी
बसन्त ऋतु में जो पहनते,पीले वस्त्र सुखानी
उनके मन में स्वत:पैदा होती खुशियों की वाणी
मानसिक अवसाद दूर करने में पीत रंग कहानी
मां शारदे से मांग लो,विद्या विनयशीलता पानी
सच को सच लिखूं,साखी दे,मां वे शब्द,तूफानी
मां शारदे स्तुति करते,सब देव ऋषि-मुनि ज्ञानी
करो आराधना मां की,मिटेगी अंधेरे की निशानी
आई,बसन्त पंचमी ऋतुओं की वो तो है,रानी
करने शारदे पूजन पीले,फूलों से सजाओ थाली।