कड़वा सच
कड़वा सच
जीने का हक उनको भी है जिनके पास पैसा नहीं
लोग क्यों भूल जाते हैं कि सब दिन एक जैसा नहीं
अमीरों को भिखारी बनते देर नहीं लगती
चालाक लोगों को भी दुनिया है ठगती
किसी की मदद ना कर सके तो भले ही मत करो
जो भी मुसीबत में हो उनके जीवन में काटे तो मत भरो
हैरानी इस बात की है कि सब समझते हैं खुद को विद्वान
और दूसरों की मदद करके खुद को समझते हैं भगवान
रिश्तेदारों से अच्छे तो वो दोस्त हैं जो मुसीबत में देते है साथ
वक्त आने पर रिश्तेदार दिखाते हैं अपनी असली औकात
पैसों का ना होना जैसे हो कोई अपराध
कोई कसर नहीं छोड़ते यह गिद्ध करने में आपको बर्बाद
वक्त के पहिए से होती है रिश्तेदारों की असली पहचान
समय बदलने पर रंग भी बदलते हैं इंसान
ना मांगो किसी से मदद पर बनो आत्मनिर्भर
जब ईश्वर हमारे साथ है तो फिर किस बात का है डर।