STORYMIRROR

Amit Singhal "Aseemit"

Drama Classics Inspirational

4  

Amit Singhal "Aseemit"

Drama Classics Inspirational

आँख में पानी रखो

आँख में पानी रखो

1 min
211

आँख में पानी रखो, होंठों पे चिंगारी रखो।

ज़िंदा रहना है तो, तरक़ीबें बहुत सारी रखो।


ऐसे हर लम्हा अपने मुंह पर मत उदासी रखो।

होठों पर कभी मुस्कान भी अच्छी ख़ासी रखो।


वक्त को समझा करो, उस की नज़ाकत रखो।

हर वक्त एक दूसरे के लिए न शिकायत रखो।


हमेशा एक दूसरे की कमियों पर मत ग़ौर करो।

कभी तो किसी की तारीफ़ थोड़ी सी और करो।


सभी को एक ही तराज़ू में तौलना मुनासिब नहीं।

कोई तुम्हारा हमदर्द है, कोई तुम्हारे जानिब नहीं।


सच है, दुनिया में अपनों की गिनती काफ़ी कम है।

मगर खुदा का शुक्र करो कि तुम्हें थोड़ा दिया ग़म है।


अगर तुम्हें किसी की बेवफ़ाई बहुत तड़पाती होगी।

याद रखो, उसको भी तुम्हारी याद बहुत आती होगी।


कोई तुमसे अगर दूर चला गया, क्यों करते हो गिला।

सबको अपने अपने कर्मों का ज़रूर मिलता है सिला।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama