ये कैसी भीड़...???
ये कैसी भीड़...???
भीड़...???
इस मानव-जंगल में सब
मुखौटेधारी चेहरे दिखते हैं...
अक्सर, जो धोखा दे जाते हैं !
ऐसे किस्म के लोग
इस कदर आप पर
हावी हुआ करते हैं कि आप
लाख कोशिश के बावजूद भी
उनके आगे घुटने
टेक ही दिया करते हैं...!!
आपको शायद कभी
मालूम ही न हुआ होगा
कि वैसे लोग आप के आगे-पीछे
(अपना उल्लू सीधा करने के लिए)
अक्सर घूमते फिरेंगे...
आपको इस बात का कभी
अंदाज़ा भी न हो पाएगा कि
ऐसे दगाबाज़ लोग
कब-कैसे-कहाँ
आपको दगा दे जाएंगे...!
स्वार्थ सिद्धि को ही
अपना मक़सद बनाकर
ऐसे बेग़ैरत लोग
आपसे जान-पहचान बढ़ाने की
कोशिश करते फिरेंगे...
आप सिर्फ इस बात का
विशेष ध्यान रखें कि
बिना सोचे-समझे
ऐसे गद्दारों पे
कभी भरोसा न करें...
वरना इसका परिणाम
बहुत ही महंगा होगा...!!
ये बात अपने ज़हन में बसा लें
कि ऐसे एहसान फरामोश लोग
अपना उल्लू सीधा करने के बाद
आपसे कहीं चलते-फिरते
मुलाक़ात हो जाने के बाद भी
अनदेखा कर देंगे...
और तब आप बेशक़
खुद क़शमक़श में पड़ जाएंगे
कि हक़ीक़त में वो आपको
पहचानते भी हैं कि नहीं... !!!
इसलिए ये ज़रूरी है कि
आप सदैव अपने षष्ठ इंद्रियों को
जाग्रत कर अपने आसपास के
स्वार्थी तत्वों को पहचानिए...
और जल्द-से-जल्द
उन्हें अपनी खुशहाल ज़िंदगी से ही
निकाल बाहर कीजिए... !!!
ये भीड़ बहुत कशमक़श भरी है...
आप इस भीड़ से जल्द ही
बाहर निकल आइए...!!!