पेड़-पौधे
पेड़-पौधे
पेड़-पौधे जहां पर लगे होते है,हजार
वहां पर शीतल शांत बहती है, बयार
वहां पर वीराने में भी आती है, बहार
जहां पर पेड़-पौधों की लंबी हो, कतार
आज तो दिखावे का रह गया, श्रृंगार
जिधर देखो, उधर ही दिखावटी, संसार
अंदर कुछ, बाहर कुछ रखते है, विचार
सच मे बहुत कम बचे हुए है, ईमानदार
घर में लगा एक-दो, सजावटी पेड़, यार
फिर ज्ञान बांटते हमें है, प्रकृति से प्यार
सच्चा प्रकृति प्रेमी, पेड़ो को कहे, करतार
यही वजह पूर्वजों ने पेड़ो से किया, प्यार
हर पेड़ को को धर्म मे दिया था, स्थान
ताकि पेड़ो की करते रहे, सुरक्षा बारंबार
पर हम आधुनिकता का करते रहे, प्रचार
उद्योग हेतु, प्रथम पेड़ो पर चलाते, तलवार
अरे मानवों, बेवकूफों जिसने तुम्हे छांव दी
उस पर ही चला रहे हो, धारदार हथियार
जबकि विज्ञान ने कहा, पेड़ सजीव होते,
इनमें भी जीवन-मृत्यु चक्र चले, लगातार
पेड़ से ज्यादा, किसी ने न किया, उपकार
स्वार्थी दुनिया मे पेड़ देते निःस्वार्थ उपहार
दवा हो, हवा हो, या हो भोजन व्यवहार
सब वृक्ष देन है, हम सब पेड़ो के कर्जदार
कोरोना में पता चला, वृक्ष कैसे कलाकार
इनके बिना हो न सकता जीवन, व्यवहार
आओ विश्नोई समाज से सीखे, पेड़ पूजे
पेड़ मरकर भी देता, जलाने का काष्ठ यार
शास्त्रों ने जीते जी, ५ वृक्ष लगाने की कहा
मरने के बाद साथ मे न जाये, लकड़ी भार
सब मनु पेड़ लगाना दिल से करे, स्वीकार
फिर तो स्वर्ग से सुंदर होगा, सारा संसार।