लिखती हूँ मिटाती हूँ संवेदनाओं को शब्दों में सजाती हूँ कलाकार हूँ कलम की किरदार कई निभाती हूँ।। #shwetmani
रही अडिग सत्य पथ पर तो निश्चय ही स्वयंसिद्धा कहलाओगी। रही अडिग सत्य पथ पर तो निश्चय ही स्वयंसिद्धा कहलाओगी।
तुम और मैं अब हम नहीं रहे रहते है साथ-साथ अब भी मगर अब साथ नहीं रहे हाँ बातें अब भी होती है पर ... तुम और मैं अब हम नहीं रहे रहते है साथ-साथ अब भी मगर अब साथ नहीं रहे हाँ बाते...
वर्ण, व्याकरण, रस, छंद सभी का वृहत्त युग्म बन जाना तुम। सरस रसधार माधुर्य सदृश, मेरे जीवन में घुल... वर्ण, व्याकरण, रस, छंद सभी का वृहत्त युग्म बन जाना तुम। सरस रसधार माधुर्य सदृ...
पहली बारिश की खुशबू और प्रकृति को उन्मादित करती उसकी बेपरवाह बूंदे आज फिर ले आयी हैं तुम्हारी ... पहली बारिश की खुशबू और प्रकृति को उन्मादित करती उसकी बेपरवाह बूंदे आज फिर ...
हर शाम छोड़ जाती हैं भावरूपी प्रेमपत्र और इस तरह , मेरी आँखों में जीवन्त हो उठता है मेरा पहला प्रेम .... हर शाम छोड़ जाती हैं भावरूपी प्रेमपत्र और इस तरह , मेरी आँखों में जीवन्त हो उठता ...
वो आँचल जिसमें बेफिक्री भरी नींदें छुपी थीं और ये सब है, जो बस अब एक याद रह गयी हैं। वो आँचल जिसमें बेफिक्री भरी नींदें छुपी थीं और ये सब है, जो बस अब एक याद रह...
वो क्या है कि किताबी ज्ञान नहीं होता है काफी इन क्षुद्र मानसिकता वाले लोगों के लिए। वो क्या है कि किताबी ज्ञान नहीं होता है काफी इन क्षुद्र मानसिकता वाले लोगों के...
मिले तो बस अपनों का प्यार मिले वो भी बेसुमार मिले। मिले तो बस अपनों का प्यार मिले वो भी बेसुमार मिले।
सोचती हूँ कभी बैठ कर अकेले में कितना बदल जाता है हर रिश्ता एक पल में। सोचती हूँ कभी बैठ कर अकेले में कितना बदल जाता है हर रिश्ता एक पल में।
प्रेम मीरा और कृष्ण है निश्छल मन का भाव है एक माँ का उद्गार है एक पत्नी का श्रृंगार है। प्रेम मीरा और कृष्ण है निश्छल मन का भाव है एक माँ का उद्गार है एक पत्नी का श्...