Shweta Jha
Literary Colonel
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लिखती हूँ मिटाती हूँ संवेदनाओं को शब्दों में सजाती हूँ कलाकार हूँ कलम की किरदार कई निभाती हूँ।। #shwetmani

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काँच से हैं ये एहसास मेरे .. सम्भालना जिम्मेदारी है तेरी

जल बुझे सब ख्वाब मेरे राख सा कुछ बच गया है भरकर मुट्ठी फेंक आयी आज खुद को आसमां में जल गयी हूँ मैं भले ही हौसला बांकी बहुत है।।

बिखरी सी जिन्दगी में ना जाने क्या क्या हो गया और ये यूँ देखता है मुझे कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं ।। #श्वेता

सुनो बहुत बेबस हो जाती हैं सासें भी जब तुम होकर भी ना होने से हो जाते हो।। #श्वेता

अंतर्मन के भावों का ,एक गुलदस्ता बन जाना तुम । मेरे शब्दों में ढलकर ,एक कविता बन जाना तुम।। #श्वेतमणि

दिल चाहता है कि इश्क मुकम्मल हो कुछ ऐसा मंजर हो वही सर्द हवाएं हों और तुम ठहर जाओ उलझी रहे तेरी मुहब्बत मेरी गेसुओं में और मैं अपना इश्क छुपाती रहूँ तेरे दामन में ।।

शाम की उदासी खोल जाती है तेरी यादों का पिटारा हर रोज़। मुकम्मल और नामुकम्मल के दायरों उलझी मैं बीत जाती हूँ इमरोज़।। #श्वेता

मुहब्बत के मौसम में सोचा कुछ मुहब्बत लिखूँ मैं । तेरी मेरी मुहब्बत की कहानी मेरी जुबानी लिखूँ मैं।।


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