स्वार्थी जग से हारा
स्वार्थी जग से हारा
में तो इस स्वार्थी दुनिया से बहुत हारा हूं
रिश्तों बीच हो गया,में तो एक बेचारा हूं
एक तरफ कुंआ है,तो एक तरफ खाई है
सब लोगो को ही खुश करने में तो हारा हूं
किसकी में सुनूं,ओर किसकी में नही सुनूं
में तो बिना बात का जला हुआ अंगारा हूं
अपनों से ही यहां फिर रहा,मारा-मारा हूं
सबको तो गैरों ने लूटा,मुझे अपनों ने लूटा
में तो खुद के साया से हुआ,चेहरा न्यारा हूं
में तो नदी का हुआ,एक ऐसा किनारा हूं
नदी में रहकर भी सूखा हुआ बहुत सारा हूं
में तो मित्रों एक ऐसा शादीशुदा कुंआरा हूं
खुद की जमीं होकर भी में तो बेसहारा हूं
स्वार्थी लोगों बीच फंसा,जख्मी फुंहारा हूं
फिर भी लड़ूंगा,स्वार्थी दुनिया से न डरूंगा
में सत्य का जो,एक टूटा हुआ सितारा हूं
मर भी जाऊंगा, तो भी आऊंगा दुबारा हूं
में स्वार्थियों बीच,बेबाकी का एक नारा हूं।