खफा हूँ तुमसे
खफा हूँ तुमसे
खफा हूँ तुमसे क्यों क्या वजह भी न पुँछोगें
सौपा है जब सब कुछ तुम्ही को पिया रे
क्या मेरे दर्द की दवा भी न -पुछोंगे
हर सवाल तुम्हीसे है मेरा ये जानों
जवाब हर सवाल का तुम्हीं हो पेहचानों
क्या मेरी आँखो में पढना तुम भुल गये
वक्त था कभी ये के तुम पेहचानते थे
जरासी भी आहट जो मुझे दर्द देती
हूँ में खफा बहोत जान लो तुमसे ये
न है परवाह तुम्हे मेरी परेशानी की
पूछो तो कभी, न जान पाओ तो
क्या मेरी नाराजगीगा सबब है ये जानो
पढो कभी शिंकज मेरी माथे की तुम
तुमही हो सहार मेरा, तुमही हो मरहम
रख दू जो कांधे पे तुम्हारे मै सर
भूल जाऊँ हर गम और वजह हर गम की
बस तुम जानो तो वजह मेरे दर्द की --