अहसास की मिट्टी
अहसास की मिट्टी
अहसास की मिट्टी पर महल बनाया
ना रखी खिड़की ना दरवाजा बनाया
ना कोई मेहमान कक्ष, ना ही विवाद कक्ष बनाया
सिमटी सी चादर थी और कांटो का बिस्तर बनाया
जगत में हो रहे दुराचार से बेखबर चैन की नींद
ना आजाये इसलिए बिस्तर कांटों से बनाया
समाज के तानों की ना हो जगह घर में इसलिए
बाहरी लोगों का प्रवेश वर्जित तख्त लगाया
तेरे मेरे अलावा ना घर में कोई आये
बस तू रहे और मैं रहूं ये कानून बनाया
कोई कहता ईश्वर की माया,
मैंने तेरे प्रेम में ईश्वर को ही माया बनाया
क्यों डरना किसी से जब प्रेम तुम संग लगाया
चोरी करके चोर नहीं बनना मुझे
इसलिए तुम को चितचोर बनाया
जब चाहे तुम को गले लगाऊं जब चाहे करुं
तुम से प्यार इसलिए समय का ना पहरा बनाया
अहसास की मिट्टी से घर बनाया ।।।