तर्पण
तर्पण
तृप्त करने की प्रक्रिया को ही कहते हैं तर्पण।
यदि सच में जान लिया, तुमने इसके असली अर्थ को।
तो कर दो थोड़े अपने व्यस्त समय का अर्पण।
अपने माता पिता को, जो चाहते हैं तुम्हारे वक्त को।
जिन्होंने कभी कमी ना रखी तुम्हें पालने में।
तुम्हें बड़ा करने में, तुम्हें हर खुशी देने में।
आज वे बेबस हो गए, कमज़ोर हो गए।
लाचार हो गए, तो तुम उनको छोड़ गए।
याद करो वो वक्त, जब तुम्हारी लंगोट गीली होती थी।
और तुम्हारी मां गीले में ही बिना हिले लेटी सोती थी।
ताकि तुम्हारी नींद में खलल न पड़े, सोए रहो दो घड़ी।
आज तुम्हें उनके दर्द और तकलीफ की कुछ नहीं पड़ी।
