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Amit Singhal "Aseemit"

Drama Tragedy Classics

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Amit Singhal "Aseemit"

Drama Tragedy Classics

क़सूर की सज़ा

क़सूर की सज़ा

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कभी कभी हमको मिलती है उस क़सूर की सज़ा।

जो हमने कभी किया न हो, न रही हो हमारी रज़ा।


बेवफ़ा ने दिल हमारा तोड़ा, हमने शिकायत नहीं की।

फिर भी उसने हमें क़सूरवार मानकर सज़ा हमें ही दी।


हमारा क़सूर सिर्फ़ इतना था, हमने सच्चा प्यार दिया।

और उसने हमें ग़म तो दिया ही, सरेआम रुसवा किया।


फिर कभी हमारा चेहरा न देखने की कसम भी खाई।

ज़िंदगी भर याद रहेगी बिना क़सूर के मिली बेवफ़ाई।


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