मन के अश्वों पर लगाम दो..!
मन के अश्वों पर लगाम दो..!
कुछ करने को
कुछ बनने को
नियंत्रित सब करने को
कुछ तो विवेक चाहिए ना
कुछ अश्व शक्ति चाहिए ना...!
रक्षा देश की हो या कि
हो ख़ुद की सुरक्षा
ज्ञान ध्यान ख़ुद पर हो
या कि हो समाज हित
मस्तिष्क की भी शक्ति हो दुरुस्त
स्वस्थ तन से स्वस्थ मन तक
स्वस्थ मस्तिष्क से बढ़े सशक्त विकास तक,
यूँ ही नहीं होगी सीमा की सुरक्षा
तन की अश्व शक्ति सी हो तत्परता
जीतेगे हर जंग तब जब मन अश्व पर हो लगाम
अंकुश लगाकर निराशा के अंधकार पर
आशा की ज्योति पुंज को फैलाकर
जीत सकेंगे हर दुश्मन से उसके
घर में जाकर।