डरती हूँ
डरती हूँ
डरती हूँ मैं खुद को खुद से मिलाने से डरती हूँ
डरती हूँ कोई जान न ले मेरे दिल की बात
डरती हूँ कोई पहचान न ले मेरी असली अस्तित्व को
डरती हूँ कोई पढ़ न ले मेरे लिखें अनकहे अल्फाजो को
डरती हूँ कोई कोई गलत धारणा न बना ले मेरे बारे मे
डरती हूँ कोई नफ़रत न कर ले मुझसे
डरती हूँ कहीं मैं प्यार मोहब्बत मे न पड़ जाऊं
डरती हूँ कही दुसरो को खुश रखते रखते
कही खुद की ख़ुशी को न भूल जाऊं
डरती हूँ कहीं खुद का सपना पूरा न कर पाने मे
डरती हूँ अंधेरों से, मैं कहीं घूम न हो जाऊं
डरती हूँ...... डरती हूँ...... आखिर किससे मैं डरती हूँ ?
खुद को खुद के उम्मीदों से मिलाने से डरती हूँ या
खुद को लोगों के उम्मीदों से मिलाने से डरती हूँ ?
एक सवाल खुद से.....