कविता
कविता
लिखते लिखते यह कविता लाजवाब लगने लगी
लेकिन ध्यान से पढ़ा तो उसमें दर्द नज़र आने लगी
खुद को ही समझाने के लिए लिखती चली गई
दोस्ती, प्यार सब दूर होती नज़र आने लगी
इमोजी के जाल में कुछ ऐसी उलझती चली गई
मेरे दर्द को सब मज़ाक़ समझते चले गए
कुछ तो कमी नज़र आती ही होगी
नहीं तो सब मुझसे दूर होते नज़र नहीं आने लगते !!
