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Habib Manzer

Tragedy

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Habib Manzer

Tragedy

दिवानगी वो मेरी बढ़ाकर चला गया

दिवानगी वो मेरी बढ़ाकर चला गया

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दिवानगी वह मेरी बढ़ाकर चला गया

उम्मीद मेरे दिल में जगाकर चला गया


उसको कभी ना भूल सका दिल मेरा यहाँ

एक पल में कैसे मुझको भुलाकर चला गया


मैं ख्वाब देखता रहा उसका ही रात भर

आँखो से ख्वाब मेरे उड़ाकर चला गया


कितना वह चाहता था मुझे दिल मचल गया

वह दिल में मेरे यादें बनाकर चला गया


तन्हा था दिल भी मेरा चाहत बिना कभी

चाहत भी मेरे दिल में जगाकर चला गया


डरता नहीं था दुनिया के रस्मों रिवाज से

महफिल में गले मुझको लगाकर चला गया


बंदिश भी मेरी चाहतों को रोक ना सका

मेरे लिये वह रस्में भुलाकर चला गया


मंजर ने उसको दिल में जगह ऐसे दे दिया

दिल में वह मेरे घर भी बनाकर चला गया।।


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