मैं नासमझ था समझाने तो कोई आया नहीं मैं नासमझ था समझाने तो कोई आया नहीं
लाखों मोमबत्तियां याद में जली उसके, लाखों मोमबत्तियां याद में जली उसके,
प्रतिदिन ही, उस पर बहुत सारी कविता प्रतिदिन ही, उस पर बहुत सारी कविता