एतबार
एतबार
विरह ने तुम्हारे,
मशीन बना तो दिया ।
सरकता था जो,
परदा गिरा तो दिया ।।
दी थी शाख, पत्ते,
फूल, जड़ें तक तुमको ।
आओ एक रोज़,
घोसला बना तो दिया ।।
लो आके बैठा हूँ,
देहरी पे तेरी ।
भूला राह खुद ही,
रहनुमां बना तो दिया ।।
पत्थरों में थोड़ी,
बाकी थी रोशनी ।
किया था सज़दा कभी,
ख़ुदा बना तो दिया ।।