Pradeep Pokhriyal

Tragedy

4.9  

Pradeep Pokhriyal

Tragedy

एतबार

एतबार

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विरह ने तुम्हारे,

मशीन बना तो दिया ।

सरकता था जो,

परदा गिरा तो दिया ।।

दी थी शाख, पत्ते,

फूल, जड़ें तक तुमको ।

आओ एक रोज़,

घोसला बना तो दिया ।।

लो आके बैठा हूँ,

देहरी पे तेरी ।

भूला राह खुद ही,

रहनुमां बना तो दिया ।।

पत्थरों में थोड़ी,

बाकी थी रोशनी ।

किया था सज़दा कभी,

ख़ुदा बना तो दिया ।।


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