यह क्यूँ होता है
यह क्यूँ होता है
यह क्या होता है
यह कैसे होता है
यह क्यूँ होता है
क्यूँ चाए की चुस्कियाँ,
चादरों की सलवटों के
सामने फीकी पड़ जाती हैं,
क्यूँ मीठी सी बातें,
टेढ़े कुशन के पीछे छुप जाती हैं,
यह कैसे होता है
यह क्यूँ होता है
क्यूँ चैन के दो पल बिखरे
घर से जीत नहीं पाते
क्यूँ हम दोनो एक दूजे में
दुनिया को भूल नहीं पाते
यह कैसे होता है
यह क्यूँ होता है
क्या उसे भी ऐसा लगता है
क्या उसका भी जीवन भी
इतना अकेला है
क्यूँ हम दोनो बीच
रास्ते फिर नहीं मिल जाते
यह कैसे होता है
यह क्यूँ होता है
क्यूँ बच्चों की ज़िद
चिढ़ को जनम देती है
क्या दफ़्तर की चिंता
पूरे घर को छोटा कर देती है
यह कैसे होता है
यह क्यूँ होता है
क्या बच्चों की परवरिश
सिर्फ़ फ़ीस भरने से होती है
क्या पालन की परिपूर्णता
केवल पोषण से होती है
यह कैसे होता है
यह क्यूँ होता है
क्या दूसरों के पेट भरने की
चिंता दिल ख़ाली कर देती है
क्या दिल को ख़ुशी
अब सिर्फ़ पैसों की खनक देती है
यह कैसे होता है
यह क्यूँ होता है
क्या ख़ुशी अब सिर्फ़
काम से मिलती है
किसके लिए कमाया है,
यह भुला देती है
यह कैसे होता है
यह क्यूँ होता है
क्या मैं उसको समझ नहीं पाती
क्या उसे मुझे समझने की इच्छा होती है
क्यूँ समझने समझाने की बातें
अब वक़्त बर्बाद करतीं हैं
यह कैसे होता है
यह क्यूँ होता है