अभी जिंदा है तेरी माई
अभी जिंदा है तेरी माई
माँ मैंने देखा,
दूर जंगल के उस छोर पर
वो आ रही है..
हाँ ! माँ
इधर ही आ रही है
आदमियों की एक फौज
बड़े-बड़े ट्रक थे आठ-दस
पास उसके थे आरी-कुल्हाड़ी
और भी तरह-तरह के हथियार।
वो तो इस जंगल को अब
पल में काट गिराएंगे
लकड़ियों को उठा ले जाएँगे और
अपना आशियाँ सजाएँगे
पर, हम कहाँ जाएँगे माँ ?
हम तो बेघर ही हो जाएंगे।
डर के मारे वह शावक
चिपका माँ के सीने से
माँ ने भी उसे
छुपाकर अपनी बाहों में
सोच रही है मन में
वो पेड़ों को तो काटेंगे ही
हमें भी कहाँ छोड़ेंगे
अपनी गोलियों के शिकार बनाएँगे।
नैनों में भय की बदली छाई है
आशंका से कंपकपायी है फिर भी
वह अपने जिगर के टुकड़े को
बहलाती है, पुचकारती है,
डर मत मेरे बच्चे तू
आँच न आयेगी तुझ पर
अभी जिंदा तेरी माई है।
