बसंत की दस्तक
बसंत की दस्तक
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ख़ुशियों से चमकी किसानों की अंखियाँ
मन में तो सज गयी आशाओं की दुनिया
बसंती हवा में झूमी खेतों की फलियाँ
पुष्पित हो इठलायी डालियों पर कलियाँ।
खुशबू से महकी बागों की गलियाँ
सतरंगी परिधान में इतरायी तितलियाँ
मधुरस में डूब भौंरे मनाते हैं रंगरेलियाँ
नवपल्लवों के संग श्यामा करती अठखेलियाँ।
पीत चुनर में खिलखिलायी सारी सहेलियाँ
दिल को लुभाती गुलमोहर की सुर्खियाँ
बसंत की दस्तक से खुली प्रेम की खिड़कियाँ
बढ़ने लगी है अब सांसों की गर्मियाँ।
