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Rani Kumari

Romance

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Rani Kumari

Romance

जो तुम नहीं

जो तुम नहीं

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यूँ तो

इस बहार के मौसम में

है हरी-भरी वादियाँ

फूलों से लदी झाड़ियाँ

पर सुनो !


मेरे मन की गली में

छायी है विरानियाँ

जो तुम नहीं।


हवाओं की सरसराहट

पंछियों की चहचहाहट 

नवपल्लवों की मुस्कुराहट

भौंरों की गुनगुनाहट

पर सुनो !


मुझमें एक छटपटाहट 

जो तुम नहीं।

पतझड़ या बहार

शरद, ग्रीष्म या फुहार


आते-जाते बारंबार

प्रकृति का करते शृंगार

पर सुनो !

मैं बेरंग और बेकरार

जो तुम नहीं।


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