माँ शारदे आयी है
माँ शारदे आयी है
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माघ शुक्ल पंचमी तिथि
ऋतु बसंत भी छायी है
देखो बच्चों हमसे मिलने
माँ शारदे आयी है।
श्वेत वसन में अतिशोभित
अनुपम छवि दिखलायी है
अभय मुद्रा में ममतामयी
स्नेह लुटाने आयी है।
कमलासिनी माँ वाग्देवी
वीणा मधुर बजायी है
हंसवाहिनी प्रखर प्रज्ञा
ज्ञान-पिटारा लेकर आयी है।
माँ के आगमन से ही
चहुंओर बहार छायी है
भूले-भटके हम नादानों को
माँ राह दिखाने आयी है।
जग में स्वर-संगीत और
मधुर वाणी से ही खुशियाँ छायी है
जो कुछ है पास हमारे वो
माँ कृपा से ही पायी है।
देखो बच्चों हमसे मिलने
माँ शारदे आयी है।
