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Rani Kumari

Others

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Rani Kumari

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कोयल

कोयल

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बसंती हवा मतवाली

झूमती गेहूं की बाली।


डोल रही डाली-डाली

कोयल ये काली-काली।


सूरत भी है भोली-भाली

बोली उसकी मिश्री वाली।


सुनकर हम बजाएं ताली

बगिया में छायी खुशहाली।


नकल हम भी खूब करते

संग उसके मस्ती करते।


कुहू -कुहू की टेर लगाते

अपने मन को बहलाते।


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