छाँव
छाँव
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बड़ा प्यारा अपना गाँव है।
दरख्तों की शीतल छाँव है।
स्नेह और भाईचारे का
यहाँ जमा अभी भी पाँव है।
उत्सव-त्योहारों में हिलमिल।
खुशियाँ करती रहती झिलमिल।
मिलती दुआओं की छाँव तो
रिश्ते-नाते जाते खिल-खिल।
रौनकें खेत-खलिहानों में।
जमती महफ़िलें दलानों में।
मिलती ममता की छाँव सदा
दादी-अम्मा के तानों में।
