STORYMIRROR

Rani Kumari

Others

3  

Rani Kumari

Others

छाँव

छाँव

1 min
327


बड़ा प्यारा अपना गाँव है।

दरख्तों की शीतल छाँव है।

स्नेह और भाईचारे का

यहाँ जमा अभी भी पाँव है।


उत्सव-त्योहारों में हिलमिल।

खुशियाँ करती रहती झिलमिल।

मिलती दुआओं की छाँव तो

रिश्ते-नाते जाते खिल-खिल।


रौनकें खेत-खलिहानों में।

जमती महफ़िलें दलानों में।

मिलती ममता की छाँव सदा

दादी-अम्मा के तानों में।


Rate this content
Log in