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Rani Kumari

Others

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Rani Kumari

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बसंत जब आता है

बसंत जब आता है

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बसंत जब आता है,

चहल-पहल होती है

चहुं ओर,

सर्द भरी ठिठुरन से

मिलती है राहत,

छिटकने लगती है

रवि-रश्मियाँ

झूमती है कलियाँ।

मदहोशी सी छा जाती है

हवाओं में

रंगिनियत फिजाओं में

रूमानियत अहसासों में।


ऋतु परिवर्तन लाता है

सौगात नयेपन का

फसलें झूम कर 

कहती है गाथा

किसानों के मेहनत

लगन और समर्पण की।


उत्सवी माहौल सा हो जाता है

जग जाता है 

नया उत्साह-उमंग

मिलता है 

एक नया नजरिया

नया ढंग 

जीवन को समझने का

निराशाओं के ठूंठ पर भी

आशाओं के कोंपल फूट पड़ते हैं

और जीवन हँसता है

मुस्कुराता है

बसंत जब आता है।


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