बिना लिखकर कहाँ उसे चुप बैठना है। बिना लिखकर कहाँ उसे चुप बैठना है।
सूरत भी है भोली-भाली बोली उसकी मिश्री वाली। सूरत भी है भोली-भाली बोली उसकी मिश्री वाली।
उधार चुका, मकान छुड़ा, आँसू पी, फाँका कर । रोज घुट-घुट कर मर ।। उधार चुका, मकान छुड़ा, आँसू पी, फाँका कर । रोज घुट-घुट कर मर ।।
बिहारियों का हाथ शायद कोई पाए पकड़ . बिहारियों का हाथ शायद कोई पाए पकड़ .
रहूँगी ऐसी ही हमेशा जो बदल जाए भला वो पिंकी कैसी ! रहूँगी ऐसी ही हमेशा जो बदल जाए भला वो पिंकी कैसी !
कभी नकल करे दादी की कभी दुल्हन बने शादी की कभी नकल करे दादी की कभी दुल्हन बने शादी की