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Sunil Kumar Kourav

Tragedy

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Sunil Kumar Kourav

Tragedy

संवेदना गीत

संवेदना गीत

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है दर्द बहुत पीड़ा कह पाना भी मुश्किल है

एक नन्ही सी गुड़िया का रह पाना भी मुश्किल है

मुझे बचा लो या मार डालो माँ से जो कहती है

मम्मी क्यों स्कूल से घर जा पाना भी मुश्किल है

है दर्द बहुत पीड़ा...


इस युग मे भी लाज बचाओ सुदर्शन पूछ रहीं हूँ

कलयुग के इन राक्षसों से हर दिन जूझ रहीं हूँ

बेटी हूँ मैं इसी मुल्क की न्याय कब दिखाई देगा

कठुआ, उन्नाव, निर्भया, मंदसौर फिर सफाई देगा

है दर्द बहुत...


चंद भेड़ियों की ग़लती पर इंसानियत भी मर जाती

सदन मौन है और चैनल तक उसको नहीं दिखाती

सहम गए वह सिसक सिसक कर कुछ भी न कह

पाई

माँ तो समझ गई पर कुर्सी को तरस न आई

है दर्द बहुत...


सड़कों पर आवाजें गूँजी जनता है चिल्लाई

नहीं है उनको जीने का हक मिलकर आवाज़

उठाई

रूह काँप उठे सजा न मिले कोई अधूरी

ऐसे पांखडी दुष्टजनों की होना मौत जरूरी

है दर्द बहुत.....



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