बेरोजगारी
बेरोजगारी
रोजगारी भी अब लगती रोज गाली है,
दिमाग मैं घूमती जैसे कोई कव्वाली है।
जब सब पूछते मिली कही नौकरी,
कसम से लगता है की दुनिया में सिर्फ हम ही खाली है।
कभी जाते जब इंटरव्यू में फिर पता चलता,
यहा हर कोई मेरी ही तरह मलाली है।
इतनी मेहनत से हासिल की डिग्रियां फर्जी लगती है,
जब इंटरव्यूअर कहेता आपका अनुभव तो बिलकुल खाली है।
शर्ते होती इनकी जैसे पत्थर की लकीर हो,
और सैलरी इतनी जैसे हम फेमिलियर नही फकीर हो।
मिलती कहा किसी को यह मनचाही मनचली,
मिली उसी को मान लिया क्योंकि सब की जेब यहाँ खाली है।