सफरनामा
सफरनामा
कोई मीलो दूर मौन भाँप लेता है
तो कोई साथ रहकर शब्द भी नहीं समझता,
जिंदगी यही है दोस्त,
कोई मौन होके रोता है
और कोई रो के मौन हो जाता।
खैर अपनी अपनी सोच है सबकी,
कोई कहता हम हुनरबाज है
और कोई हमे नादान समझता।
क्या करनी अब शिकायत उन सवालों से,
कोई हरवक्त मुजरिम ठहराता है
तो कोई फरिस्ता समझता।
कली के इस कालचक्र में
समय ही सबकुछ समझाता,
कोई नजरो में उठ जाता है
तो कोई उठा हुआ उतर जाता।
जज्बातों की कीमत हर कोई यहा कहा जानता,
कोई वादा कर मुकर जाता है
तो कोई बिन बोले वादे निभा जाता।
मौत के मुसाफिर को भी उलझने अजीब है यहां,
कोई मरकर जिंदा रहता है
तो कोई जीते जी ही मर जाता।