यादें.....
यादें.....
कुछ कहानियां यूं ही बन जाती हैं
बिन कही बातें जीने की वजह बन जाती है,
खामोश लफ्ज़ अक्सर मुस्कुरा देते है
जब उनकी कही कोई बात याद आ जाती है,
उनकी बहुत याद आती है।
वो हँसी ठिठौली और वो तकरारे,
साथ बिताए वो हर लम्हे ,
आज भी जहन को सुकून दे जाते हैं,
उनकी बहुत याद आती है।
कदमों की आहट सुन वो धड़कने तेज होना,
फिर चुपके से निहार के वो मंद - मंद मुसकाना,
वह पुरानी सारी बाते आज भी नई नूरानी लगाती है,
उनकी बहुत याद आती है।
उनकी सिखाई गई सारी बाते,
आज भी लड़खड़ाई जिंदगी को,
सहारा दे जाती है,
उनकी बहुत याद आती है।
वो छोटी छोटी गलतियों पर डांट देना,
फिर खुद ही माना लेना,
आज भी वो किस्से दिल में ताजगी भर जाते है,
उनकी बहुत याद आती है।
वो उनका बिन बोले समझ लेना,
वो फिक्र, वो हर जिक्र, वो बाते, वो यादें
और वो आवाज़ आज भी कानों को
सुकुन दे जाती है,
उनकी बहुत याद आती है।
हां खेद है की न शामिल हो सके उनकी रूखसती में,
पर कैसे देखते ए दोस्त तुझे लिपटे हुए कफन में,
अफसोस, कभी कह न पाए हाल ए दिल का,
वह आखरी मेसेज पढ़ आज भी
हमारी रूह काँप जाती है,
उनकी बहुत याद आती है।

