मातृत्व की महक
मातृत्व की महक
उछलती कूदती सबको हंसाती,
एक धीर गंभीर धारा बन जाती है,
जब एक लड़की माँ बन जाती है।
दवाई पीने में नखरे दिखाती,
पूरे घर को सर पे उठाती,
आज दस - दस गोली एकसाथ निगल जाती है
जब एक लड़की माँ बन जाती है
करती गुस्सा गिरने पर पानी,
चद्दर न ओढ़े बड़ी सयानी,
आज गिले बिस्तर पर भी सो जाती है,
जब एक लड़की माँ बन जाती है।
मीठेपन से वह बड़ी कतराती,
घी गुण को जो न हाथ लगाती,
सौंफ के लड्डू आज बड़े चाव से खाती है,
जब एक लड़की माँ बन जाती है।
उठाने पर वो कभी न उठती,
सुनकर भी अनसुना कर देती ,
आज वो रात रात भर जागती है,
जब एक लड़की माँ बन जाती है।
छोटी छोटी बातों पे जिद पे अड़ जाती,
मनाने पर सबके मौन हो जाती,
फिर जिद तो क्या रूठना भी भूल जाती है,
जब एक लड़की माँ बन जाती है।
चटपटा जिसे बहुत ही भाता,
बारिश में भीगने में बड़ा मजा आता,
स्वाद शौक और पसंद भी बदल देती है,
जब एक लड़की माँ बन जाती है।
देखती थी वो सपने सुहाने,
जल गए भीतर क्या कोई जाने,
बच्चों की खातिर अपने सपनो को भी त्याग देती है,
जब एक लड़की माँ बन जाती है।
कभी अपने हक के लिए न लड़ पाई
वह आज सारी दुनिया से लड़ जाती है
जब एक लड़की माँ बन जाती है।
