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Sunita Maheshwari

Romance

4.9  

Sunita Maheshwari

Romance

बरखा

बरखा

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आजा साजन बरखा बरसे, 

तेरी याद सताय।

यादों के बादल अँखियों में, 

साजन घिर घिर आय।


मन में मेरे बसी हुई है

तेरी ही इक बात।

जन्म जन्म का नाता अपना 

पुलक रहा यह गात।


कड़क रही है बिजली नभ में 

हिय मेरा डर जाय।

आजा साजन बरखा बरसे, 

तेरी याद सताय।


बरखा की बूंदें भर देती,

तन, मन में तो आग।

तेरे बिन जीवन है सूना,

सूने सारे बाग।


भीगी चूनर, भीगा मनवा 

तुझ बिन रहा न जाय।

आजा साजन बरखा बरसे, 

तेरी याद सताय।


इन्द्रधनुष झूले में झूलें 

गाए शुभ मल्हार।

प्रेम भरी बतियां कर झूमें,

आजा कर लें प्यार।


मधुर मिलन की आशा में अब 

मन मेरा मुस्काय।

आजा साजन बरखा बरसे, 

तेरी याद सताय।


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