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TAPASWINI BEHERA

Romance

4.0  

TAPASWINI BEHERA

Romance

मेरे आँसू का कतरा

मेरे आँसू का कतरा

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ये वक्त फिर मिले न मिले

       तुम बात तो करो

कुछ पल मिली है मुलाकातों की

     तुम दिल में समेट के भरो...

कुछ सवाल अब भी बाकी है

    तेरे मन में और मेरे मन में भी

कुछ जवाब अब भी देने है

     कुछ तुम्हें और कुछ मुझे भी...

दिल के कुछ हिस्से में

      तेरे यादों के बसेरा

धो के फिर न मिटा दे

      मेरे आँसू का कतरा...


वो नफरत के धागे 

  और लेके ना चल सकेंगे

आज थोड़ा पास बैठके

   साथ मिल के सुलझा देंगे...

सुना है, कोई रुकता नहीं किसी के लिए

      बहे जाते हैं पानी की तरहा

और हम ताउम्र ढूंढते क्यूँ रहे

      जिसे खो देंगे इन राहों में कहाँ...

वो फूल की बगिया में जो खिले थे कलियाँ  

     वो मुरझा गये है कब से दिल में

वो पहली चिट्ठी जो रहती थी होठों पे

      सिकुड़ गयी है आज डायरी में...


पता है मुझको ये मुलाकात 

     इस जीवन के आखिर पन्ने में होंगे

पता है मुझको ये नजदीकियाँ 

     हर फासलों से करीब होंगे....

ये हमारा आज की फरेब बातें

      कल कुछ कुछ यादों में होंगे

कुछ हँसने या रोने के लिए

और कुछ फिर गिर कर 

         उठने की हिम्मत के लिए होंगे...

कुछ गुमनाम होंगे कुछ बदनाम होंगे

        बस ये मुहब्बत के आदत से होंगे

पर कुछ पतझड़ में भी बहार लाएंगे

            मेरे अकेलेपन में होंगे...


पर वादा है तुमसे 

      और ये वक्त भी गवाह रहेंगे

हम दिल तो क्या

    याद में तुम्हारे कभी फिर ना आयेंगे....

तुम बेशक खुश रहना

     ये दुआ हमेशा होठों पे होंगे

मेरे किस्मत में ना सही

   तुम किसी की जीने की आदत तो होगे...



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