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TAPASWINI BEHERA

Abstract

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TAPASWINI BEHERA

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नादान रिश्ते

नादान रिश्ते

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खुलेआम यूँ तू नीलाम ना कर

मुहब्बत के वो पल को बाजारू ना कर

बेमतलब नहीं था दीवानगी तुमसे,

ये केहके जमाने में बदनाम ना कर

 

ये इश्क़ मेरी तवायफ़ नहीं 

हर दिल की गलियों में शराबी नहीं 

ना कर मुलाकात हर ख़्वाब में मेरे,मगर

ये नबरत के इंतेकाम मुझे भी ग़वारा नहीं

 

बहुत हुआ ये इंतेज़ार मुलाक़ात के

बहुत बरसाई आँशु तेरे आने के

अब मंजूर नहीं तेरे कसम पूरा करना,

युहीं जमानों में खुदको ज़िल्लत करके


अब तो राख हो रही है सारे यादें दिलके

बस् कर और मत जला ये रिश्ते नादान के

कहीं फिर किसी दिन पछताते ना कहना,

एहसास जब आया तुम चले गये छोड़के।


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