STORYMIRROR

parag mehta

Romance

3  

parag mehta

Romance

किताब का वो पन्ना

किताब का वो पन्ना

1 min
470

किताब के उसी पन्ने पर आ ठहरा हूं मैं,

जिस पन्ने में खुशबू है उस एक गुलाब की।


वो गुलाब जो गवाह बना उस एक लम्हे का

जिस लम्हे ने इश्क़ का वो इजहार देखा था।


इज़हार जो कि खूबसूरत था उतना ही

जितनी खूबसूरत उस गुलाब की हर कली थी।


हर वो कली जिसमें खुशबू थी सिमटे हुए

और वो ख़ुशबू की महक उस रिश्ते सी थी।


जिसका गवाह फिर वही गुलाब बना था

किताब का वो पन्ना आखिर जिसका ठिकाना था !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance