मेघ
मेघ
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मेघ पर नाम तेरा, लिखा था सजन
कसके बरसा वही, रात छत पे मेरे
उसकी बूँदों से भीगी, तो ऐसा लगा
जैसे तूने छुआ, मुझको ख़त से तेरे ।।
यूँ तो अंगड़ाइयों ने, बताया मुझे
तुम भी बेताब थे, जुगनुओं की तरह
हिचकियों ने संदेशा, सुनाया मुझे
तुम भी लाचार थे आँसुओं की तरह
सूर्य जब घुल रहा था, गगन अंक में
मैं भी ऐसी घुली रात छत पे मेरे ।।
मेघ पर नाम तेरा, लिखा था सजन
कसके बरसा वही, रात छत पे मेरे
उसकी बूँदों से भीगी, तो ऐसा लगा
जैसे तूने छुआ, मुझको ख़त से तेरे