जो भी था , जैसा भी था आंखों का गुजारा पल सुहाना सा था। जो भी था , जैसा भी था आंखों का गुजारा पल सुहाना सा था।
जो पल हम दोनो जी चुके, वो तो बहती जिंदगी थी। ये जो दोनों में बाकी रह गया है, वो दरिया-ए-इश्क़ है। जो पल हम दोनो जी चुके, वो तो बहती जिंदगी थी। ये जो दोनों में बाकी रह गया है, वो...
वो मुझे कितना याद आती है वो मुझे कितना याद आती है वो मुझे कितना याद आती है वो मुझे कितना याद आती है