STORYMIRROR

Sirmour Alysha

Abstract

3  

Sirmour Alysha

Abstract

लम्हें ज़िंदगी के

लम्हें ज़िंदगी के

1 min
196

जो भी था , जैसा भी था

आंखों का गुजारा पल सुहाना सा था

लम्हें ज़िंदगी के लंबित सफ़रनामे सा था

तलाशती ज़माना मानिंद बेगाना सा था

डायरी के पन्ने लिखा तराना सा था

रंजीदों की बातें मन अफ़रा-तफ़री सा था

लौटती हर ख़्याल दहर से रवाना था

बेइंतहा अज़ीज़ सिलसिला अंजाना सा था

वक़्त में जो भी जैसा भी अपना सा था

इम-साल हालात अच्छा था या बुरा था....

हर हर्फ़ इन्हीं तख़य्युल में गुमशुदा सा था।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract