हालात-ए-इश्क़
हालात-ए-इश्क़


ना तो तू कोई इश्क़ है,
ना मैं कोई इश्क़ हुँ।
ये जो खालीपन रह गया है,
वो एहसास-ए-इश्क़ है।।१।।
जो पल हम दोनो जी चुके,
वो तो बहती जिंदगी थी।
ये जो दोनो में बाकी रह गया है,
वो दरिया-ए-इश्क़ है।।२।।
ना तो ये रातें इश्क़ है,
ना ये बरसातें इश्क़ है।
ये घड़ी और करवटों की आवाजे,
यही गुफ़्तगू-ए-इश्क़ है।।३।।
ना ये सफर इश्क़ है,
ना ये लिखा सफरनामा इश्क़ है।
जब लफ्ज़ ख़त्म हो, जज़्बात नहीं,
तब वो हालात-ए-इश्क़ है।।४।।