एक दफ़ा अख़बार पढ़िए
एक दफ़ा अख़बार पढ़िए


पन्नो मे लिखी कहानियों मे,
देश के कुछ हालात पढ़िये |
यकीन नहीं होता तो जनाब,
एक दफ़ा अख़बार पढ़िये ||
विपक्ष पे किये वो वार पढ़िये,
फिर महँगाई की मार भी पढ़िये |
वो बड़ी इमारतों के इश्तेहार पढ़िये,
फिर बहते हुए कच्चे घर बार पढ़िये ||
ये अर्थव्यवस्था की रफ़्तार पढ़िये,
फिर किसी किसान की जिन्दगी से हार पढ़िये |
यकीन नहीं होता तो जनाब,
बस एक दफ़ा अख़बार पढ़िये || १ ||
विश्वगुरु बनने के ख़्वाब पढ़िये,
फिर घोटालों के दाग भी पढ़िये |
दलित पे हुए अत्याचार पढ़िये,
लेकिन आरक्षण से हाहाकार भी पढ़िये ||
नारी शक्ति के लिए उठती आवाज़ पढ़िये,
फिर किसी नारी की लुटती लाज भी पढ़िये |
आप कुछ मत कीजिये जनाब,
आप बस बैठिये,शिकायत कीजिये और चाय की चुस्की के साथ अख़बार पढ़िये || २ |- Dheeraj Sarda
|