STORYMIRROR

Ekta Sharma

Tragedy Others

3  

Ekta Sharma

Tragedy Others

बाजार

बाजार

1 min
212


बाजारों का ये हाल है 

कि सब कुछ यहां बिकता है 

जेब में पैसे थोड़े हैं 

पर यहां सब कुछ महंगा मिलता है 

बच्चों के लिए खिलौने लेने हैं

त्यौहारों पर उन्हें नए कपड़े भी दिलाने 

यही सोच एक गरीब बाप घबराता है

पूरे साल पैसे बचा कर

बहुत फरमाइशें दिल में लेकर

हर आदमी बाजार जाता है

बहुत सोच समझकर कर

जो सामान पसंद आए 

वो भी कहां बजट में मिल पाता है

ज्यादा पैसों में थोड़ा सा सामान 

अपने थैले में रख वापस आता है

चलो इसी से ही काम चला लेंगे

यह कहकर बच्चों के संग वो मुस्कुराता है।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy