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Ekta Sharma

Inspirational

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Ekta Sharma

Inspirational

जब मैं बेटी से बहू बनी

जब मैं बेटी से बहू बनी

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जब से मैं बेटी से बहू बनी 

बहुत कुछ मैं सीख गई हूं

अपने गुस्से नाजो नखरे छोड़कर

मैं जिम्मेदारियां बखूबी निभाना सीख गई हूं

अपनी शिकायतों की गठरी बांध कर

चुप रहना सीख गई हूं

किसी की भी कोई गलत बात

ना सहने वाली मैं

अब बातों को होंठों में सिलना सीख गई हूं

थोड़ा सा दर्द होने पर 

घर में शोर मचाने वाली

अब मैं बड़े से बड़ा दर्द भी

अकेले ही सहना सीख गई हूं

हर पल नटखट शैतानियां करती

अब घूंघट में भी मुस्कुराना सीख गई हूं

जिंदगी को अब खेल ना समझ कर 

बल्कि एक इम्तिहान समझ कर जीना सीख गई हूं।



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