मोहब्बत
मोहब्बत
जब मोहब्बत का मतलब भी ना पता था
तब से मोहब्बत है हमें तुमसे
अक्सर शीशे पर जमी भाप की परत पर
तुम्हारा नाम लिख लिया करते थे
और कोई उसे देख ना ले
इसलिए उसे साफ भी कर दिया करते थे
कभी अपने हाथों पर
तुम्हारे नाम का पहला अक्षर बना लिया
तो कभी तुम्हारा कोई ख्वाब
चुपके से आंखों पर सजा लिया
कॉपी किताबों के पन्नों पर
पाठ का सबक लिखते लिखते
कहीं कोने पर तुम्हारा नाम लिख दिया
इतनी चाहत के बावजूद भी
मलाल तो इस बात का है कि
जब वक्त था तब हम कुछ कह ना पाए।
और शायद कह नहीं पाए
इसीलिए तुम्हें अपनी जिंदगी में नहीं ला पाए।